
हफीज किदवई,वरिष्ठ सम्पादक
एक बादशाह ने मज़हब चलाया तो उसी दौर में एक संत ने एक मज़हब की बुनियाद डाली । बादशाह का मज़हब मिट गया और संत का दिखाया रास्ता आजतक खूबसूरती से जारी है । बादशाह अकबर ने दीन ए इलाही चलाया तो मगर उसमें त्याग-तपस्या नही थी,उनकी आंख बंद होते ही मिट गया । वहीं गुरु नानक देव ने त्याग-तपस्या-सेवा को अपनाया और सारी ज़मीन में फले फूले । इसका मतलब है विचार ताक़त या वैभव से नही,त्याग,समर्पण और सेवा से फलते फूलते हैं । यही हमारे लिए सबक़ है ।
वह जिन्होंने बताया कि चलने से दुनिया बदल जाती है । इस दुनिया को अपने पैरों से नाप डाला । उसकी बुराइयों जो ख़त्म करनी थीं और अलग अलग अच्छाइयों को दुनिया के सामने लाना था । कहते हैं वह क़रीब अट्ठाईस हज़ार किलोमीटर पैदल चले । क़रीब चौबीस साल लग गए उन्हें दुनिया की परत दर परत खोलने में,लोगों के दिलों में उठने वाली जुम्बिश उन्होंने अथाह मेहनत से महसूस की और वह चलते रहे ।
दुनिया के एक ऐसे पदयात्री,जिन्होंने चलकर लोगों के दिल बदल दिए । उन्हें झिंझोड़ दिया । जगाया और बताया ज़िन्दगी सिर्फ़ इकट्ठे करने का नाम नही है । तुम जितना इकट्ठे करोगे,ज़िन्दगी उतनी ही इकट्ठी हो जाएगी और उसके वज़न से हमेशा दबी रहेगी । जब कि ज़िन्दगी तो चलने का नाम है । उनकी इन यात्राओं का नाम ही उदासियाँ हैं । चारों उदासियाँ दुनिया को इल्म के उन तहख़ानों में ले जाती हैं, जो सामने रहकर भी दिखते नही थे ।
मुझे गुरुनानक ने हमेशा अपनी ओर खींचा है । मैं कभी उनके दोहों में अटका, तो कभी दिल से फूटे अल्फाज़ो में गुँथा,कभी उनकी ख़िदमत में पैबस्त हो गया। मैं ज़िन्दगी के हर रँग को उनकी खुशबू से पहचान पाया।
मैं सिंधु के पानी को छूना चाहता हूँ। मैं उस माटी को चूमना चाहता हूँ। मैं उन अल्फ़ाज़ को ज़िन्दगी बना लेना चाहता हूँ जो मेरे, हाँ मेरे नानक के होंठों से निकले हैं।
कोई गुरु यूँहीं नही हो जाता।कोई गुरु बड़ी बड़ी पीआर एजेंसी से नही बन जाता।गुरु तो दिल से होता है।जो सबको सुनता है।गले से लगाता है।समझाता है।पुचकारता है।मनाता है।तभी तो गुरु होता है।गुरु नानक होता है।
अभी कहता हूँ आज गुरु की पैदाइश में लंगर बाटो या न बाटो,बस गुरु की ज़िन्दगी को अपनी ज़िन्दगी में उतारो। गुरु के दिल से चुटकी भर मुहब्बत लेकर अपने दिल में उतार लो । उतनी तक़लीफ़ को बर्दाश्त करो। गुरु के लिखे,सिर्फ गुरु के लिखे हर लफ़्ज़ को पढ़ो। समझो और ज़िन्दगी में उतारो।
मेरे नानक का दिल जिस दिन तुम्हारे दिल तक पहुँच गया,तुम्हारे चेहरे में चमक आ जाएगी। तुम्हारे लफ़्ज़ दिलों को झकझोरने लगेंगे।मेरे नानक को महसूस तो करो।यह भूमि नानक की वजह से ही महकी है। नानक के लफ़्ज़ और किरदार ही इस देश की ज़रूरत है। नानक हमेशा से ज़्यादा अब ज़रूरी हैं।हम सबमें थोड़े थोड़े नानक हो जाएं तो यह माटी महक उठे।
आज गुरु नानक जयंती की शुभकामनाएं आप सबको,नानक से प्रार्थना की गुरु ग्रन्थ साहिब से छूकर कोई हवा ऐसी चलाएं कि हम इंसान भर बन जाएं। आपके यह अल्फ़ाज़ हमारी ज़िंदगी बन जाएं…
जगत में देखो प्रीत,
अपने ही सुखसों सब लागे,क्या दारा क्या मीत।।
नानक भव जल पारपै जो जो गावैं प्रभु के गीत।।
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