हफीज किदवई, मुख्य सम्पादक

वह जिसने दुनिया के नक्शे पर अपनी सबसे मजबूत उपस्थिति दर्शायी । वह जिसने गुटों में बंटते देशों से कहा गुटनिरपेक्षता मेरा सिद्धांत है । वह जो अभी आज़ादी की अंगड़ाई में था,दुनिया के दूसरे देशों से दोस्ती करता हुआ अपने रास्ते उन्हें दिखाता गया कि अहिंसा ही हमारा मकसद है ।

जिसके पीछे गांधी थे,अगल बगल सरदार पटेल और सुभाष भी रहे,जिसके दिल मे हिंदुस्तान का ख्वाब था,जिसके हर फैसले पर जनता साथ साथ थी । वह पंडित जवाहर लाल नेहरु की जयंती पर हम श्रद्धा से सर झुकाते हैं ।

जब जब भारत पर गर्व करेंगे हम,उस गर्व की ईंट होंगे नेहरू। मैं दिल मे गाँधी रखता हूँ,दिमाग में नेहरु और दोनो के जितना कर्मयोगी बनने का अपूर्ण स्वप्न आँखों मे लिए हर बार 14 नवम्बर गुज़रते हुए देखता हूँ,मेरा साल यहीं से शुरू होता है…

एक किताब से यह तस्वीर आशीष आनंद ने ली तो हम लोग कुछ सोचकर मुस्कुराए बहुत,लिख नही सकते हैं,लम्बी बातचीत है मगर यह तस्वीर दिल मे सँजो सकते हैं । नेहरू की तमाम तस्वीरों में से एक यह मन मे बैठ गई कि इसके बाद वह धूल मिट्टी खाने चल पड़े,सपरिवार जेल गए और फिर सलाखों को पिघलाकर उसके लोहे से हमारे महान देश की ऐसी प्रेम की बुनियाद डाल दी की आज भी हम वही भारत चाहते हैं, जो दर्द और खुशी में सबके साथ था

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