प्रदेश में खुलेंगी 218 फास्ट ट्रैक अदालतें
लखनऊ : महिलाओं से जुड़े अपराधों की बढ़ती तादाद को देखते हुए उत्तर प्रदेश में 218 नई अदालतें खोली जाएंगी | सोमवार को कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई |
यह भी तय हुआ है कि इनमें से 144 अदालतें सिर्फ रेप के मामलों में सुनवाई करेंगी, जबकि पॉक्सो एक्ट से जुड़े मामलों के निस्तारण के लिए 74 अदालतें काम करेंगी |
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में प्रदेश कैबिनेट ने कुल 33 प्रस्ताव मंजूर किये गए | इसमें सबसे अहम फैसला 218 फास्ट ट्रैक न्यायालयों की स्थापना से जुड़ा हुआ है | पहले हैदराबाद और फिर उन्नाव में दुष्कर्म पीड़िता को जलाकर मारे जाने समेत अन्य मामलों से महिला हिंसा के खिलाफ आम लोगों की नाराजगी चरम पर है |
यह बात भी खुलकर कही जा रही है कि महिला और बाल अपराध से जुड़े आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई और अदालतों में मुकदमों के निस्तारण में देरी से होता है |
इन सबको देखते हुए प्रदेश में 218 फास्ट ट्रैक न्यायालयों की स्थापना का फैसला किया गया है | ये अदालतें महिलाओं और बच्चों से जुड़े मामलों के शीघ्र निस्तारण की दिशा में काम करेंगी | प्रदेश के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने बताया कि इन न्यायालयों के लिए 218 न्यायाधीशों के सृजित किये जायेंगे | साथ ही अन्य स्टाफ की भर्ती की जाएगी |
75 लाख प्रति कोर्ट का खर्च आएगा, जिसमें एक साल का 63 लाख का खर्च स्टाफ और संचालन में आएगा | इन अदालतों की स्थापना जल्द से जल्द हो इसके लिए किराये के भवन में इन्हें चलाने की व्यवस्था की गई है | भवन किराए पर लेने की दशा में 3 लाख 90 हजार रुपये प्रति कोर्ट का किराया होगा | पाठक ने बताया कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न न्यायालयों में 42 हजार 379 पॉक्सो एक्ट के जबकि रेप के 25,749 मामले लंबित हैं |
नई अदालतों के गठन से नए मुकदमों के साथ ही लंबित मामलों के निस्तारण में मदद मिलेगी |