सिख विरोधी दंगों में सज्जन को उम्र कैद
तीन राज्यों में हासिल जीत के बाद खुशियां मना रही कांग्रेस के लिए एक चिंता की खबर आई है. कांग्रेसी नेता और पूर्व सांसद सज्जन कुमार को 1984 दंगों के केस में सज़ा हो गई है. दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सज़ा सुना दी है. उन्हें 31 दिसंबर तक सरेंडर करने को कहा गया है. कोर्ट ने उन्हें हत्या के लिए प्रेरित करने, दंगे भड़काने के और आपराधिक साजिश के आरोप में दोषी पाया है. इस मामले में पांच साल पहले निचली अदालत ने उन्हें बरी किया था. हाई कोर्ट ने उस फैसले को पलट दिया है.
सज्जन पर दिल्ली कैंट के राजनगर इलाके में पांच सिखों का मर्डर करवाने का आरोप था. ये लोग थे क़ेहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुवेंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह.
जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की बेंच ने यह फैसला सुनाया. हाई कोर्ट ने फैसला पढ़ते हुए कहा,
तीन राज्यों में हो रहे शपथ ग्रहण के बीच ये खबर कांग्रेसी खेमे में बेचैनी भर देगी. ख़ास तौर से मध्य प्रदेश के नए नवेले सीएम कमल नाथ के लिए कठिन समय है. सिख दंगों में उनकी भूमिका पर सवाल उठते रहे हैं.
जब इस केस में छूट गए थे सज्जन कुमार
30 अप्रैल 2013 का दिन. दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में काफी गहमागहमी थी. बाहर भीड़ जमा थी. काफी सिक्योरिटी थी. कैंट दंगा केस का फैसला आने वाला था. छह आरोपी थे और इनमें बड़ा नाम था कांग्रेस के नेता सज्जन कुमार का. कोर्ट ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया था. बाकी के पांच लोगों को दोषी पाया गया. तीन पर मर्डर और दो पर दंगे भड़काने का आरोप था.
सज्जन कुमार के छूटने पर बवाल हो गया. सज्जन कुमार को बरी किए जाने पर लोग नाराज़ थे. कोर्ट के बाहर नारेबाजी शुरू हो गई थी. जो सिख मारे गए थे, उनके परिवार वाले लगातार चीख रहे थे. पुलिस से झगड़ रहे थे. उनमें से कइयों का कहना था कि क्या हम इस देश के नागरिक नहीं हैं. हमारे साथ नाइंसाफी हुई है.
इस केस में छूटने के बाद सज्जन के खिलाफ सीबीआई हाई कोर्ट गई. 27 अगस्त 2013 को हाई कोर्ट ने ये केस एक्सेप्ट कर लिया.
कोर्ट के इस फैसले से उखड़कर ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट फेडरेशन के एक स्टूडेंट ने जज की तरफ जूता फेंक दिया. उसका नाम था करनैल सिंह. बाद में करनैल को गिरफ्तार कर लिया गया था.
कौन हैं सज्जन कुमार?
सज्जन कुमार दिल्ली में पिछले तीन दशकों से भी ज्यादा समय से कांग्रेस की राजनीति कर रहे हैं. पुराने लोग बताते हैं कि सज्जन पहले एक चाय की दुकान चलाते थे. 1970 के आस-पास संजय गांधी की नजरों में आए. बाहरी दिल्ली के इलाके मादीपुर से म्युनिसिपल चुनाव लड़ा और जीत गए.
1977 में उन्हें काउंसलर पद की शपथ सोशल एक्टिविस्ट गुरु राधा किशन ने दिलवाई थी. 1980 में 35 साल की उम्र में चौधरी ब्रह्म प्रकाश को लोकसभा चुनाव में हराया था. चौधरी ब्रह्म प्रकाश दिल्ली के पहले चीफ मिनिस्टर थे. 1991 में बीजेपी के साहब सिंह वर्मा को बाहरी दिल्ली लोकसभा से हराया. सज्जन 14वीं लोकसभा में कांग्रेस से बाहरी दिल्ली से सांसद चुने गए.
इंदिरा गांधी की मौत के बाद 1 और 2 नवंबर को दिल्ली कैंट में पांच सिखों को एक भीड़ ने मार डाला था. जो लोग वहां मौजूद थे, उनका कहना था कि सज्जन कुमार ने भीड़ को उकसाया. हमने अपनी आंखों से उसे देखा था.
सज्जन कुमार पर मर्डर, डकैती, आपराधिक साजिश का आरोप था. बाद में नानावटी कमीशन की सिफारिश के बाद 2005 में सज्जन के खिलाफ केस दर्ज हुआ. CBI ने सज्जन के खिलाफ दो चार्जशीट फ़ाइल कीं. सज्जन के अलावा कांग्रेस के ही जगदीश टाइटलर और दूसरे कई नेताओं पर दंगे भड़काने के आरोप है. 2009 में कांग्रेस ने सज्जन कुमार को लोक सभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया था.
सज्जन कुमार पर 1984 के दंगों के तीन केस थे.
2015 में मोदी सरकार ने 1984 के दंगों की फिर से जांच के लिए SIT बनाई थी. SIT ने 2016 के नवंबर में सज्जन कुमार से इन दंगों पर पूछताछ की थी.