पर्ची जारी होने के 3 दिन के बाद भी नहीं होगी गन्ना किसानो से कोई खरीद
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लखनऊ : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) एक ओर जहां गन्ना किसानों (Sugarcane Farmers) की समस्याओं के समाधान के लिए अपने स्तर से हर संभव प्रयास कर रहे हैं |
तो वहीं दूसरी ओर गन्ना विभाग के आला अधिकारी अब अपनी नाकामी गन्ना किसानों के सिर फोड़ उनकी मुसीबतें बढ़ाते नजर आ रहे हैं |
गन्ना विभाग उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल्स संघ लिमिटेड की 24 चीनी मीलों (Sugar Mills) में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओ को अब तक भले ही न रोक सका हो, लेकिन सोमवार को सहकारी चीनी मीलों को लाभ के नाम पर गन्ना खरीद के लिए पर्ची के जारी होने के महज 72 घंटे बाद किसानों का गन्ना न खरीदने का निर्देश जरूर जारी कर दिया है |
सरकार के दावों का पोल खोल रहा सहकारी चीनी मिल्स संघ
एक ओर योगी सरकार उत्तर प्रदेश में सहकारी चीनी मिलों के दिशा और दशा बदल दिये जाने का दावा करती है | तो वहीं दूसरी ओर योगी सरकार के दावों की पोल खुद उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल्स संघ लिमिटेड के प्रबंध निदेशक खोलते नजर आ रहे हैं | सहकारी चीनी मिल्स संघ के प्रंबध निदेशक विमल दुबे के मुताबिक ‘यूपी में 24 सहकारी चीनी मिलें प्रतिदिन 6 लाख क्विंटल अधिक गन्ने की पेराई कर रही है |
लेकिन रमाला और सठियावा को छोड संघ की अधिकांश मिलों की मशीनरी पुरानी एवं जर्जर अवस्था में है | जिनकी पेराई क्षमता भी बहुत कम होने के चलते आर्थिक स्थित बहुत अच्छी नही है | कुछ चीनी मिलों में गन्ना खरीद के लिये जारी होने वाली पर्ची का समय बीत जाने के बाद भी किसान तौल लिपिकों पर तौलने का दबाव बनाते है | जो चीनी मिल के हित में नही है |’
सहकारी चीनी मिल्स संघ लिमिटेड के प्रबंध निदेशक के मुताबिक ‘गन्ना सट्टा एवं आपूर्ति नियमों के तहत कोई गन्ना किसान पर्ची जारी होने की तिथि से सिर्फ 3 दिन के अंदर गन्ने की आपूर्ति कर सकता है | चीनी परता को बेहतर कर सहकारी चीनी मिलों को लाभ की स्थित में लाने के लिये ये निर्णय लिया गया है |
सहकारी चीनी मिलें अब 3 दिन से पुरानी गन्ना पर्चियों पर खरीद नही करेंगी | और इसके साथ ही साथ पुराने और सूखे गन्ने की खरीद कदापि नही करेंगी | इसलिये किसानों से हम अपील करते है कि गन्ना पर्ची पर अंकित तिथि से 3 दिन के अंदर चीनी मिल को जड़, पत्ती एवं मिट्टी रहित गन्ने की आपूर्ति करें | जिससे चीनी मिल को बेहतर चीनी परता प्राप्त हो सके |’
जबकि सहकारी चीनी मिलों द्वारा न तो अबतक समय पर सभी गन्ना किसानो को उनकी गन्ना पर्ची पहुचाने की कोई ठोस व्यवस्था की जा सकी है | और न ही किसानों का पिछले वर्ष के सैकड़ों करोड़ के गन्ना बकाये का ही अबतक भुगतान किया जा सका है |