खूंखार अपराधियों का ठिकाना बनती जा रही राजधानी
खूंखार अपराधियों का ठिकाना बनती जा रही राजधानी
- बेखौफ: लखनऊ में आश्रय पा रहे अपराधी
- ऊंची रसूख रखने वालों तक नहीं पहुंच पा रहे पुलिस के हाथ
ए.अहमद सौदागर
लखनऊ। राजधानी लखनऊ खूंखार अपराधियों व शूटरों का ठिकाना बन चुकी है। जरायम की दुनियां में दखल रखने वाले श्रीप्रकाश शुक्ला और बबुआ जैसे बेखौफ शूटरों के बाद एक बार फिर पॉश क्षेत्र एवं अन्य इलाके में उसी तरह की जघन्य वारदातें करने वाले बदमाश पनप रहे हैं।
बीते दस माह में राजधानी के द्वितीय संस्थान-बैंक लुटेरों के निशाने पर, लेकिन पुलिस कोई फूलप्रूफ योजना बनाने में नाकाम रही। बीते साल और विभूतिखंड क्षेत्र में तीन दिन पूर्व यानी सोमवार को दिनदहाड़े हुई घटना पुलिस के लिए एक बार फिर बड़ी चुनौती साबित होकर उभरी है। बिहारी गैस एजेंसी के कैशियर की हत्या उसकी गवाह है।
रुपयों के लिए बेधड़ होकर किसी को भी मौत की नींद सुलाने वाले यह बदमाश भले ही गैर जनपदों के रहने वाले हों, लेकिन लखनऊ में उनकी पैठ गहरी है। कैशियर श्याम सिंह हत्याकांड के बाद यही सवाल पुलिस अफसरों को बेचैन कर रहा है, लेकिन पुलिस खूनी लुटेरों को शरण देने वालों तक पहुंचने में नाकाम है।
बीते 27 अक्टूबर 2010 की सुबह सीएमओ परिवार कल्याण डॉ. विनोद आर्या की मार्निंग वॉक के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई।
इसके ठक छह माह बाद दो अप्रैल 2011 की सुबह टहलने के लिए घर से निकले सीएमओ परिवार कल्याण डॉ. बीपी सिंह के सीने में गोलियों की बौछार कर मौत के घाट उतार दिया गया।
दो मार्च 2011 को सरकारी मुलाजिम सैफ हैदर उर्फ सैफी की शिक्षा भवन के पास दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या।
दस मार्च 2014 की सुबह रिवर बैंक कॉलोनी में रहने वाले पेट्रोल पंप संचालक डॉ. एमवी त्रिवेदी की गोली मारकर उस समय हत्या कर दी गई थी, जब वे घर से निकल बैंक में रुपये जमा करने जा रहे थे। इसी दिन तीन घंटे के अंतराल में इंदिरानगर में जलकल के जेई सत्यनारायन वर्मा की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई।
27 फरवरी 2015 में दोपहर करीब एक बजे हसनगंज के बाबूगंज चरही स्थित एचडीएफसी बैंक के एटीएम बूथ पर कस्टोडियन समेत तीन लोगों के ऊपर गोलियों की बौछार कर हत्या कर दी गई।
30 जुलाई 2018 को हजरतगंज के राजभवन के पास कैशवैन के सुरक्षा गार्ड इन्द्रमोहन की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या।
21 नव बर 2015 को चिनहट के सतरिख रोड स्थित भारतीय स्टेट बैंक में गार्ड श्रवण की दिनदहाड़े गोली मरकर हत्या।
एक नव बर 2015 को नरही के पार्षद बंटू यादव की दिनदहाड़े भीड़भाड़ में गोली मारकर हत्या।
18 मार्च 2016 को हजरतगंज के डीआरएम आफिस परिसर में दिनदहाड़े टेंडर विवाद में ठेकेदार आशीष पांडेय उर्फ छोटू की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
एक दिसंबर 2017 को मुन्ना बजरंगी के करीबी मो. तारिक की दोपहर बाद सरेराह गोली मारकर हत्या कर दी गई।
29 अक्टूबर 2018 को विभूतिखंड के उर्दू एकेडमी के सामने बिहारी गैस एजेंसी के कैशियर श्याम सिंह की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई।
राजधानी लखनऊ में हुई ये 12 ऐसी सनसनीखेज वारदात हुई जो रात में नहीं बल्कि दिन में हुई। किसी की लूट का विरोध करने पर तो किसी की मार्निंग वॉक के दौरान बेखौफ बाइक सवार बदमाशों ने गोलियों से भूनकर छलनी कर दिया और खूनी असलहा लहराते हुए मौके से भाग निकले।
यूं तो शहरी क्षेत्र हो या फिर देहातों में मोटरसाइकिल जा रहे चेकिंग के नाम पर पुलिसकर्मी उन पर झपट पड़ते हैं,लेकिन कमर में असलहा और नोटों से भरा बैग या फिर थैला लिए बेखौफ बदमाशों को पकडऩे में पुलिस के पसीने छूट जाते हैं। इससे साफ है कि लखनऊ पुलिस आम आदमी के लिए ही हावी है और अपराधियों पर नकेल और उनकी धरपकड़ में नाकाम है।
एक बाइक पर दो खूनी लुटेरे कैशियर की जान ली और दस लाख रुपयों से भरा बैग एवं असलहा लहराते हुए बेधड़क होकर भाग निकले, लेकिन खुद को हाईटेक कहे जाने वाली किसी पुलिसकर्मी ने चेकिंग के नाम पर लकीर पीटती रह गई। यह हाल किसी अन्य जिले का नहीं बल्कि राजधानी पुलिस का।
कैशियर हत्याकांड: चेहरे तमाम कातिल कौन, 36 घंटे बाद भी नतीजा सिफर
डीजीपी ओपी सिंह के अल्टीमेंटम के बाद खुलासे के लिए लगाई गई 12 टीमों ने सोमवार 11 बजे दिन से लेकर बुधवार दोपहर तक के समय में खूनी लुटेरों की तलाश में पुलिस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी, लेकिन नतीजा कुछ न निकल सका। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है राजधानी पुलिस कितना हाईटेक है। फिलहाल किन गिरोह के निशानेबाज शूटरों ने श्याम को भूना, किसने रैकी की। सूत्र बताते हैं कि पुलिस की जांच में चेहरे तमाम हैं, लेकिन खूनी लुटेरा कौन है यह सवाल कातिल की तलाश में जुटी पुलिस के सामने बड़ी चुनौती है। एसएसपी कलानिधि नैथानी का दावा है कि जल्द ही कातिल सालाखों के पीछे होंगे।