कृषि और फसल अवशेषों के प्रबंधन में प्राैद्योगिकी का समावेश जरूरी: कोविंद
कृषि और फसल अवशेषों के प्रबंधन में प्राैद्योगिकी का समावेश जरूरी: कोविंद
चंडीगढ़। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किसानों के विकास तथा उनकी आमदनी बढ़ाने के साथ कृषि क्षेत्र तथा फसलों के अवशेष के निपटान में प्रौद्योगिकी के समावेश पर विशेष जोर दिया है। कोविंद ने आज यहां 13वें सीआईआई एग्रो-टैक अंतरराष्ट्रीय मेला का उद्घाटन करने के बाद अपने सम्बोधन में किसानों के विकास पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है जिसकी आधी आबादी कृषि और संबद्ध गतिविधियों पर निर्भर है। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह, केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल, पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ केंद्र शासित क्षेत्र के प्रशासक वी.पी. सिंह बदनोर, हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी उपस्थित थे।
राष्ट्रपति ने भारतीय कृषि को समकालीन नयी प्रौद्योगिकी के अनुरूप ढालने, जलवायु परिवर्तन, कीमतों में आने वाले उतार चढ़ाव और मांग में बदलाव के खतरों से निबटने के लिए पर्याप्त सुरक्षात्मक उपाय करने, सतत निवेश और कारोबारी साझेदारी की ओर विशेष ध्यान देने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि ये सभी मिलकर कृषि उत्पादों के लिए अच्छी कीमत के साथ उसकी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़ाएंगे जिससे किसानों की आमदनी में भी बढ़ौतरी होगी।
काेविंद ने कहा कि मानव इतिहास क्रम में विभिन्न पद्धतियों के मेल से कृषि का विकास होता रहा है। यह क्षेत्र एक दूसरे से सीखने और अपने अनुभव साझा करने का आदर्श मंच है। इसमें विभिन्न क्षेत्रों और भौगोलिक परिस्थितियों में साझेदारी के काफी अवसर विद्यमान हैं। पिछले दशकों में निर्माण और मशीनीकरण कृषि क्षेत्र के लिये काफी उपयोगी रहा है। आज के दौर में सेवा क्षेत्र और कृषि के बीच मजबूत सम्बंध उभर रहा है। जैव प्रौद्योगिकी, नैनो प्रौद्योगिकी, डाटा विज्ञान, रिपोट सेंसिंग इमेेजिंग, हवाई और जमीनी वाहन तथा कृत्रिम मेधा में कृषि को और अधिक मूल्यवान बनाने की क्षमता निहित है। उन्होंने उम्मीद जताई कि एग्रोटेक इंडिया-2018 ऐसी विशिष्ट भागीदारी को बढ़ावा देगा ताकि देश के किसान लाभान्वित हो सकें।
पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण की समस्या का जिक्र और इस पर चिंता व्यक्त करते हुये राष्ट्रपति ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के किसान देश का गौरव हैं। इन्होंने समाज के व्यापक हित में आने वाली चुनौतियों और जिम्मेदारियों से कदापि मुंह नहीं मोड़ा है। देश आज फसलों के अवशेषों के सुरक्षित तरीके से निपटान करने की बड़ी समस्या से जूझ रहा है। बड़े पैमाने पर फसलाें के अवशेष जलाने प्रदूषण की गम्भीर समस्या पैदा हो रही है जिससे बच्चे तक प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में राज्य सरकारों, किसानों तथा हितधारकों समेत हम सभी की यह जिम्मेदारी बनती है कि इस समस्या का समाधान निकालें तथा इस काम में प्रौद्योगिकी निश्चित रूप से काफी मददगार साबित होगी।